न्यूज डेस्क: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के भाइयों, भरत पटवारी और नाना पटवारी, तथा इंदौर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव पर तेजाजी नगर थाने में दर्ज FIR ने कांग्रेस की सियासी पोल खोल दी है। 74 वर्षीय नरेंद्र मेहता की शिकायत पर दर्ज इस केस में आरोप है कि इन लोगों ने इंदौर के उमरी खेड़ा में साढ़े छह एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे की कोशिश की और धमकी दी। भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4), 336, 337, 338, 339 और 340 के तहत मामला दर्ज हुआ है। मेहता ने दावा किया कि यह जमीन 1939 से उनके परिवार के पास है, और कांग्रेस नेताओं ने इसे हड़पने की साजिश रची।
कांग्रेस ने इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की और बुधवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में एक ड्रामेबाज प्रतिनिधिमंडल भोपाल में पुलिस मुख्यालय (PHQ) पहुंचा। वहां उन्होंने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) इंटेलिजेंस ए. साई मनोहर को ज्ञापन सौंपकर निष्पक्ष जांच की मांग की। उमंग सिंघार ने बेशर्मी से इसे भाजपा की साजिश करार दिया, जबकि हकीकत में यह कांग्रेस की पुरानी आदत जमीन हड़पने और पीड़ितों को धमकाने का एक और उदाहरण है। उन्होंने दावा किया कि जमीन यादव समाज के ट्रस्ट से जुड़ी है, लेकिन यह सवाल उठता है कि कांग्रेस नेता इस विवाद में क्यों कूद रहे हैं?
जीतू पटवारी ने इसे “विचारों की लड़ाई” और “संविधान बचाने की जंग” बताकर अपनी सियासी रोटियां सेंकने की कोशिश की, लेकिन जनता अब इन खोखले नारों से तंग आ चुकी है। भाजपा ने इस मामले को कांग्रेस के जमीन घोटालों का एक और सबूत बताया। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और दस्तावेजों की पड़ताल के बाद सच्चाई सामने आएगी। यह मामला कांग्रेस की कथनी और करनी के बीच के फर्क को उजागर करता है, जो मध्य प्रदेश की जनता को अब साफ दिख रहा है।