न्यूज डेस्क: छत्तीसगढ़ ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीतियों के परिणामस्वरूप राज्य के प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक सभी स्कूलों में अब शिक्षकों की कमी नहीं है। एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में 80 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
यह परिवर्तन राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति के माध्यम से संभव हुआ है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग, शिक्षकों की तर्कसंगत पदस्थापना और शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) तथा नई शिक्षा नीति (NEP) की भावना के अनुरूप स्कूलों में आवश्यकता के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करना रहा है। इस पहल ने न केवल शिक्षक-छात्र अनुपात को बेहतर किया है, बल्कि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को भी बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ है। हमारी सरकार का संकल्प है कि छत्तीसगढ़ का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। युक्तियुक्तकरण नीति के तहत हमने सुनिश्चित किया कि हर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक हों, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।”
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस नीति के तहत शिक्षकों की पदस्थापना में पारदर्शिता और तर्कसंगतता को प्राथमिकता दी गई। विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में एकल शिक्षकीय शालाओं की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल किया गया। इस कदम से न केवल शिक्षकों का कार्यभार संतुलित हुआ, बल्कि छात्रों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण भी प्राप्त हुआ।यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के शिक्षा क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है और अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणादायी मॉडल प्रस्तुत करती है। सरकार का यह प्रयास शिक्षा को और अधिक समावेशी और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।