छत्तीसगढ़ CGMSC घोटाला: 550 करोड़ की हेराफेरी, 18,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल

न्यूज़ डेस्क: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में हुए 550 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। शनिवार, 26 अप्रैल 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में 18,000 पन्नों का विस्तृत आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिसमें छह आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप तय किए गए हैं। इस घोटाले ने स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार के गहरे नेटवर्क को उजागर किया है।

आरोपपत्र में मोक्षित कॉरपोरेशन के निदेशक शशांक चोपड़ा और CGMSC के तत्कालीन अधिकारियों- बसंत कुमार कौशिक (प्रभारी महाप्रबंधक), छिरोद रौतिया (बायोमेडिकल इंजीनियर), कमलकांत पाटनवार (उपप्रबंधक), डॉ. अनिल परसाई (उपनिदेशक, स्वास्थ्य विभाग), और दीपक कुमार बंधे (मेडिकल इंजीनियर) के नाम शामिल हैं। ACB/EOW के अनुसार, 2022 से 2023 के बीच चिकित्सा उपकरणों और रिएजेंट की खरीद में अनियमितताओं के कारण राज्य के खजाने को 550 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जांच में पता चला कि CGMSC ने बिना मांग और बजट आवंटन के अत्यधिक कीमतों पर रिएजेंट और उपकरण खरीदे। उदाहरण के लिए, 8 रुपये की EDTA ट्यूब को 2,352 रुपये और 5 लाख की CBS मशीन को 17 लाख रुपये में खरीदा गया। कई स्वास्थ्य केंद्रों में अनुपयोगी मशीनें सप्लाई की गईं, जहां भंडारण सुविधाएं तक नहीं थीं। ऑडिट में पाया गया कि 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 350 से अधिक में भंडारण की कमी थी।

EOW ने जनवरी 2022 में FIR दर्ज की थी, जिसमें मोक्षित कॉरपोरेशन सहित चार कंपनियों- CB कॉरपोरेशन, रिकॉर्ड्स एंड मेडिकेयर सिस्टम, और श्री शारदा इंडस्ट्रीज- पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। शशांक चोपड़ा को जनवरी 2025 में गिरफ्तार किया गया, जबकि अन्य पांच आरोपियों को मार्च में हिरासत में लिया गया।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने विधानसभा में घोटाले की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच में 15 अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है। मोक्षित कॉरपोरेशन को 4 फरवरी 2025 से तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। यह घोटाला कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुआ, जिसे लेकर सियासत भी गरमा रही है।

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