न्यूज डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी को तगड़ा झटका देते हुए 2016 के बीजेपी कार्यकर्ता योगेश गौड़ा हत्या मामले में उनकी जमानत रद्द कर दी। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जो दर्शाते हैं कि विनय कुलकर्णी ने गवाहों से संपर्क करने या उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की। इस आधार पर उनकी जमानत खारिज कर दी गई।
यह मामला 2016 का है, जब धारवाड़ में बीजेपी कार्यकर्ता योगेश गौड़ा की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में विनय कुलकर्णी का नाम मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने इस हत्या की साजिश रची थी। इस मामले में पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने कुलकर्णी को जमानत दे दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने इस पर रोक लगा दी।सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि गवाहों को प्रभावित करने के सबूत गंभीर चिंता का विषय हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि जमानत पर रहते हुए कुलकर्णी ने मुकदमे की प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया, जो न्याय के हित में नहीं है। इस फैसले को बीजेपी ने स्वागत किया है, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है।
विनय कुलकर्णी धारवाड़ से कांग्रेस के विधायक हैं और पहले कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी और अब जमानत रद्द होने से कर्नाटक की सियासत में हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि वह इस फैसले के खिलाफ कानूनी रास्ते तलाशेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कुलकर्णी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है, और अब इस मामले में आगे की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।