मंत्री विजय शाह विवाद: कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी से सियासी बवाल

न्यूज डेस्क: मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार उनके द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने न केवल कानूनी, बल्कि सियासी तूफान भी खड़ा कर दिया है। इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की फटकार, विपक्ष की इस्तीफे की मांग, और भाजपा के अंदरूनी समर्थन-विरोध ने इसे और जटिल बना दिया है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

विवाद की शुरुआत

11 मई 2025 को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित एक हलमा कार्यक्रम में मंत्री विजय शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया। उन्होंने कहा, “उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा, कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी।” इस बयान को कर्नल सोफिया कुरैशी पर अपमानजनक और सांप्रदायिक टिप्पणी माना गया, जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया।

कानूनी कार्रवाई

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस बयान का स्वतः संज्ञान लेते हुए 14 मई 2025 को पुलिस को विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने डीजीपी को चेतावनी दी कि आदेश का पालन न होने पर अवमानना की कार्रवाई होगी। 15 मई को इंदौर के मानपुर थाने में देर रात एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन हाई कोर्ट ने इसकी भाषा और सामग्री पर सवाल उठाए। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने इसे “खानापूर्ति” बताते हुए कहा कि एफआईआर में अपराध का कोई ठोस विवरण नहीं है, जिससे यह भविष्य में रद्द हो सकती है। कोर्ट ने इसे “घोर छल” करार देते हुए पुलिस को सही तरीके से एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

विजय शाह ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, “आप मंत्री हैं, इसलिए बस आपकी सुनें? आपको जिम्मेदारी से बोलना चाहिए।” कोर्ट ने मामले को 19 मई तक स्थगित कर दिया और जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) गठन का आदेश दिया। SIT में तीन आईपीएस अधिकारी प्रमोद वर्मा, कल्याण चक्रवर्ती, और वाहिनी सिंह शामिल हैं, जिसमें एक महिला अधिकारी अनिवार्य है। SIT को 28 मई तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी है।

सियासी घमासान

इस मामले ने मध्य प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। कांग्रेस ने विजय शाह के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी और प्रियंका गांधी ने इस बयान को सेना और महिलाओं का अपमान बताया। 16 मई को कांग्रेस विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल, उमंग सिंघार के नेतृत्व में, राज्यपाल से मिलकर शाह की बर्खास्तगी की मांग की। कांग्रेस विधायकों ने राजभवन के बाहर काले कपड़ों में धरना भी दिया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और बाद में रिहा कर दिया।

वहीं, भाजपा में भी इस मामले को लेकर मतभेद उभरे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनके बयान से पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है। दूसरी ओर, नगरीय विकास राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी और भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने शाह का समर्थन किया। बागरी ने कहा कि शाह की मंशा अपमान करने की नहीं थी और उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। डोडियार ने इसे आदिवासी पहचान पर हमला बताते हुए शाह के साथ खड़े होने की बात कही।

विजय शाह की माफी

विवाद बढ़ने के बाद विजय शाह ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को “देश की बहन” बताते हुए कहा, “मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुईं, इसके लिए मैं शर्मिंदा हूं और माफी मांगता हूं।” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को नामंजूर कर दिया और जांच को आगे बढ़ाने का आदेश दिया।

विजय शाह का विवादों से पुराना नाता

यह पहली बार नहीं है जब विजय शाह विवादों में घिरे हैं। 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के कारण उन्हें मंत्रिपद से इस्तीफा देना पड़ा था। 2018 में शिक्षक दिवस पर उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय पर विवादित बयान दिया था। 2022 में राहुल गांधी की शादी को लेकर तंज कसने और उनकी गैस एजेंसी में हुए गबन के मामले में भी वे चर्चा में रहे।

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