न्यूज डेस्क: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गजानंद ऑनलाइन सट्टा ऐप के पर्दाफाश ने सनसनी मचा दी है। इस मामले में रायपुर नगर निगम के पार्षद गोविंद लालवानी और उनके पिता की 300 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है। जांच में इस घोटाले के तार महादेव सट्टा ऐप के कथित मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर से जुड़े होने का खुलासा हुआ है, जिसने कांग्रेस पार्टी को कटघरे में ला खड़ा किया है।
छत्तीसगढ़ पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की संयुक्त कार्रवाई में गजानंद ऐप के जरिए अवैध सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग का जाल उजागर हुआ। इस ऐप के संचालकों ने कथित तौर पर कई राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। जांच में सामने आया कि पार्षद गोविंद लालवानी और उनके पिता इस सट्टा नेटवर्क के प्रमुख खिलाड़ी थे, जिनके पास से लग्जरी गाड़ियाँ, संपत्तियाँ और नकदी जब्त की गई।
सबसे चौंकाने वाला खुलासा सौरभ चंद्राकर के साथ कांग्रेस नेताओं के कथित संबंधों का है। सूत्रों के अनुसार, गजानंद ऐप के संचालन में कुछ कांग्रेसी नेताओं की भूमिका संदिग्ध रही है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पता चला कि पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान सट्टा ऐप्स को संरक्षण देने के आरोप लगे थे। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे कांग्रेस की विफलता और भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस के शासन में सट्टा माफिया फला-फूला, और अब उनके नेताओं के काले कारनामे सामने आ रहे हैं।”
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में सौरभ चंद्राकर और उनके सहयोगियों के खिलाफ पहले से कार्रवाई शुरू की थी। ED के अनुसार, चंद्राकर ने दुबई से इस नेटवर्क को संचालित किया और अवैध कमाई को हवाला के जरिए भारत में वितरित किया। इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल ला दिया है, क्योंकि कांग्रेस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और जल्द ही अन्य बड़े नाम सामने आ सकते हैं। इस मामले ने एक बार फिर अवैध सट्टेबाजी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित किया है।