भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हार्पी ड्रोन से दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट किया

न्यूज डेस्क: भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए इजरायल निर्मित हार्पी ड्रोन का इस्तेमाल किया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारतीय सेना ने 7 मई की रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के नौ ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसमें 80 से अधिक आतंकवादी मारे गए।

हार्पी ड्रोन, जिसे ‘आत्मघाती ड्रोन’ के रूप में जाना जाता है, दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों, विशेषकर रडार सिस्टम को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी खासियत यह है कि यह 6 घंटे तक हवा में रह सकता है और 500 किमी की दूरी तक लक्ष्य को भेद सकता है। यह ड्रोन स्वायत्त रूप से रेडियो सिग्नल्स का पीछा कर लक्ष्य पर हमला करता है और स्वयं को विस्फोटक के साथ नष्ट कर देता है। भारतीय वायुसेना ने 2000 के दशक से हार्पी ड्रोन का उपयोग शुरू किया था और 2009 में 100 मिलियन डॉलर की डील के तहत इनका उन्नयन किया गया।

रक्षा मंत्रालय ने इस ऑपरेशन को “न्यायपूर्ण और संयमित” बताया, जिसमें कोई नागरिक या पाकिस्तानी सैन्य सुविधा प्रभावित नहीं हुई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की कि पहलगाम हमले में पाकिस्तान के लिंक थे। इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में गोलाबारी की, जिसमें 15 नागरिक और एक जवान शहीद हुए। भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के आतंकवाद विरोधी रुख से अवगत कराया और कहा कि किसी भी सैन्य आक्रामकता का कठोर जवाब दिया जाएगा। यह ऑपरेशन भारत की उन्नत ड्रोन तकनीक और रणनीतिक ताकत को दर्शाता है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।